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Boss Will Be Boss!


आदर्श स्थितियों में यदि कोई बॉस इस काम को कर लेता है तो वह 'सफल' कहलाता है। लेकिन इस आदर्श स्थिति को हासिल करना इतना आसान नहीं होता। कुछ बॉस इस स्थिति को पाने का प्रयास करते हैं... आगे बढ़ जाते हैं... उनकी बनती है टीम... उनका प्रदर्शन देखने लायक होता है।

लेकिन जो बचते हैं इससे... कुछ भी हासिल नहीं कर पाते हैं... न सफलता, न लोगों का साथ, न प्यार, न सम्मान... मिलता है तो बस अकेलापन, गालियां और ना जाने क्या-क्या। हां... कुछ तात्कालिक सफलताएं जरूर मिलती हैं। लेकिन ये नाकाफी होती हैं।

अपने अभी तक के बहुत छोटे से करियर में मैंने इस स्थिति से गुजरते हुए कई लोगों को देखा है। जिनकी ऑफिस में कभी तूती बोलती थी और बस उन्हीं की तूती बोलती थी... बाकी किसी को कुछ भी बोलने का अधिकार ही न था... रिटायरमेंट के बाद या नौकरी से निकाले जाने के बाद यह कहते सुने गए कि 'यार कभी आया करो घर पर... कुछ सुनेंगे... कुछ बोलेंगे...' और कोई नहीं पहुंचता उनके घर। जब तक ऑफिस में रहे तब तक उन्होंने किसी को कुछ भी बोलने नहीं दिया और जब ऑफिस से बाहर चले गए तो कोई उनसे कुछ बोलना नहीं चाहता।

इसके उलट कुछ लोग ऐसे भी हैं। जिन्होंने कम से कम प्रयास किया एक अच्छा बॉस बनने का। ऐसे कोई तीन-चार लोगों को मैं जानता हूं जिनके साथ मुझे काम करने का मौका मिला। उनमें से कुछ अभी रिटायर भी हुए हैं। लेकिन सिर्फ एक अदद नौकरी से। वे आज भी अपनी उसी टीम के साथ पत्रकारिता कर रहे हैं। और इसे वे अपनी जिंदगीभर की कमाई मानते हैं।

लेकिन यहां यह ध्यान रखना बड़ा जरूरी है कि हमारे साथ जो होता है उसके लिए हम खुद ही जिम्मेदार होते हैं कोई और नहीं... अगर कुछ मानकों को लेकर हम आगे बढ़ें तो आदर्श बॉस बना जा सकता है। इतना मुश्किल काम भी नहीं है... पढ़ें